वायु प्रदूषण के चलते एयर क्वालिटी मैनेजमेंट में बढ़े करियर विकल्प

अगर आप एक हाइली क्वालिफाइड जॉब सीकर हैं और एनवायरनमेंट पॉल्यूशन से आप अपने शहर को बचाना चाहते हैं या आप हायर एजुकेशनल डिग्रीज़ हासिल करने के लिए अपना विचार बना रहे हैं तो ग्रीन सेक्टर अर्थात इको-फ्रेंडली एनवायरनमेंट के क्षेत्र में हमारे देश में आपके लिए काफी आशाजनक संभावनाएं हैं. भारत में आप एनवायरनमेंट की रक्षा और संरक्षण के लिए कई बेहतरीन डिग्री/ डिप्लोमा कोर्सेज कर सकते हैं.   

कंजरवेशनिस्ट

ये पेशेवर मुख्य रूप से वाटर/ सोल/ फ़ॉरेस्ट कंजर्वेशन और प्रिजर्वेशन के कार्य करते हैं और एनवायरनमेंट को सुरक्षित रखने में अपना महत्वपूर्ण योगदान देते हैं.

व्हीकल एनर्जी एनालिस्ट

ये पेशेवर व्हीकल एनर्जी एनालिसिस के माध्यम से एयर पॉल्यूशन को कम करने के लिए स्मार्ट चार्जिंग जैसे ऑप्शन्स के लाभ बताते हैं.

इलेक्ट्रिक व्हीकल सॉफ्टवेयर डेवलपर

ये पेशेवर ऑटोमोबाइल कंपनियों के लिए इलेक्ट्रिकल व्हीकल सॉफ्टवेयर डिज़ाइन और डेवलप करते हैं ताकि व्हीकल्स के इन नए डिज़ाइन्स से व्हीकल पॉल्यूशन को कम किया जा सके.

एनवायरनमेंट इंजीनियर

ये पेशेवर एनवायरनमेंट को सुरक्षित रखने के लिए और प्रदूषण की समस्या के स्थाई समाधान के लिए इको-फ्रेंडली टेक्नीक्स विकसित करते हैं.

एनर्जी एंड सस्टेनेबिलिटी इंजीनियर/ मैनेजर

ये पेशेवर एनर्जी के नॉन-कन्वेंशनल तरीकों जैसेकि सोलर एनर्जी, विंड एनर्जी, बायो फ्यूल्स को बढ़ावा देने के लिए नई टेक्नोलॉजी को विकसित करने और इस्तेमाल करने से संबंधित कामकाज देखते हैं.

रिस्क मैनेजमेंट एक्सपर्ट

ये पेशेवर विभिन्न कंपनियों और दफ्तरों में रोज़ाना होने वाले काम-काज और प्रोडक्शन, डिस्ट्रीब्यूशन से जुड़े रिस्क या खतरों से कंपनी और कर्मचारियों की रक्षा करते हैं.

प्रोडक्शन मैनेजर

इन पेशेवरों का प्रमुख काम विभिन्न उद्योगों में होने वाले प्रोडक्शन को इको-फ्रेंडली बनाना है ताकि हमारा एनवायरनमेंट सुरक्षित रहे.

भारत में स्टूडेंट्स के लिए ग्रीन सेक्टर या एनवायरनमेंट की फील्ड से संबंधित विभिन्न एजुकेशनल कोर्सेज और एलिजिबिलिटी क्राइटेरिया निम्नलिखित हैं:

बीएससी/ बीई/ बीटेक– एनवायरनमेंटल साइंस – स्टूडेंट्स ने किसी मान्यताप्राप्त एजुकेशनल बोर्ड से अपनी 12वीं क्लास साइंस स्ट्रीम में पास की हो. इन कोर्सेज की अवधि 3 वर्ष है. इसी तरह, इस फील्ड में सर्टिफिकेट कोर्सेज की अवधि 6 महीने से 1 वर्ष तक हो सकती है.

बीई/ बीटेक– एनवायरनमेंट इंजीनियरिंग – स्टूडेंट्स ने किसी मान्यताप्राप्त एजुकेशनल बोर्ड से अपनी 12वीं क्लास साइंस स्ट्रीम में पास की हो. इन कोर्सेज की अवधि 4 वर्ष है.

एमएससी/ एमई/ एमटेक– एनवायरनमेंटल साइंस – स्टूडेंट्स ने किसी मान्यताप्राप्त कॉलेज या यूनिवर्सिटी से साइंस स्ट्रीम में ग्रेजुएशन की डिग्री हासिल की हो. इन कोर्सेज की अवधि 2 वर्ष है.

एमई/ एमटेक– एनवायरनमेंटल – स्टूडेंट्स ने किसी मान्यताप्राप्त कॉलेज या यूनिवर्सिटी से साइंस स्ट्रीम में ग्रेजुएशन की डिग्री हासिल की हो. इन कोर्सेज की अवधि 2 वर्ष है.

एमफिल– एनवायरनमेंटल साइंस –स्टूडेंट्स के पास किसी मान्यताप्राप्त यूनिवर्सिटी या कॉलेज से साइंस की स्ट्रीम में पोस्टग्रेजुएशन की डिग्री हो. इस कोर्स की अवधि 2 वर्ष है.

पीएचडी– एनवायरनमेंटल साइंस –स्टूडेंट्स के पास एमफिल की डिग्री हो और इस कोर्स की अवधि 3 – 5 वर्ष है.

भारत के ये टॉप एजुकेशनल इंस्टीट्यूशन्स करवाते हैं विभिन्न कोर्सेज

आप निम्नलिखित एजुकेशनल इंस्टीट्यूशन्स से एनवायरनमेंट की फील्ड से संबंधित विभिन्न डिग्री, डिप्लोमा और सर्टिफिकेट कोर्सेज कर सकते हैं:

-दिल्ली यूनिवर्सिटी, दिल्ली

-इंदिरा गांधी नेशनल ओपन यूनिवर्सिटी, नई दिल्ली

-जवाहरलाल नेहरु यूनिवर्सिटी, नई दिल्ली

-टेरी स्कूल ऑफ़ एडवांस्ड स्टडीज़, नई दिल्ली

-चौधरी चरण सिंह यूनिवर्सिटी, मेरठ

-इंडियन एग्रीकल्चरल रिसर्च इंस्टीट्यूट, नई दिल्ली

-इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ़ साइंसेज, बैंगलोर

-इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ़ टेक्नोलॉजी, मुंबई/ खड़गपुर

-वाइल्ड लाइफ इंस्टीट्यूट ऑफ़ इंडिया, उत्तरांचल -इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ़ मैनेजमेंट, लखनऊ/ मुंबई/ खड़गपुर/ दिल्ली/ रुड़की/ कलकत्ता/ बैंगलोर

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